[भाषण] swatantrata diwas par bhashan hindi me । swatantrata divas 2021

स्‍वतंत्रता दिवस पर भाषण हिन्‍दी में । Swatantrata Diwas Par Bhashan hindi me ! swatantrata divas 2021

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दोस्‍तो भारत
में 15 अगस्‍त का महत्‍व बहुत ही ज्‍यादा है । एकता का प्रतिक है यह पर्व । इसके बारे में इस पोसट में
Swatantrata Diwas Par Bhashan
hindi me
में बताया गया । स्‍वतंत्रता
दिवस के लिए भाषण का यहां बड़ा अचछा वर्णन किय गया है। जो कि हिन्‍दी में हैं। 


भारत की पहचान पहले 1757 से 1947 तक ब्रिटिश भारत के रूप में थी । उसके बाद 15
अगस्‍त 1947 के बाद भारत स्‍वतंत्र के रूप में आजाद हुआ। इसका मतलब है कि भारत की
अपनी संविधान एवं नीति और अपने लोगों के द्वारा शासन का संचालन करना। पर आजादी
पाना इतना आसान न था। इसके लिए हजारों क्रांतियां हुए हजारों शहीद हुऐ इन सब के
राष्‍ट्रवाद के कारण भारत अंग्रेजो से मुक्‍त हुआ। उन्‍होने अपने शासन को भारत से
हटा दिया।अंग्रेजो ने 15 अगस्‍त 1947 को मुक्‍त राष्‍ट्र की भारतीय जनता को
सुपुर्द कर दिया तब से इस दिन को शहीद के बलिदान
साहसएवं राष्‍ट्र नेता को याद करने के लिए
मानाया जाता है इस
 स्‍वतंत्रता दिवस independence
day 
2021 को हम मना रहे हैं।

मातृभुमि की गान से गूंजता रहे गगन।

स्‍नेह नीर से सदा फूलते रहें सुमन।।

तुम जिधर चरण धरोजीत का वरण करो।

आज आसमान परशान से बढ़े चलो।।

 

15 अगस्‍त 1947 से पहले 31 दिसंम्‍बर 1929 को रात के 12 बजे जवाहर
लाल नेहरू ने लाहौर में रावी नदी के तट पर ए‍कत्रित जन समुदाय के सामने तिरंगा
फहराते हुए घोषणा किया गया कि स्‍वतंत्रता आंदोलन को का लक्ष्‍य पूर्ण स्‍वराज्‍य
है। एंव य‍ह निर्णय किया गया कि भारत के लोग 26 जनवरी 1930 को आम साभाओं द्वारा इस
दिन को स्‍वतंत्रता का दिन घोषित किया गया। उस‍ दिन के ऐतिहासिक महत्‍व के कारण ही
1949 को भारते ने नया गणतंत्रीय संविधान तैयार किया।  

15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस के रूप में मानाया जाता है क्‍यो कि
15 अगस्‍त का निर्णय लॉर्ड माउंटबेटन उस समय के वायसराय ने लिया था। द्वितीय विश्‍व
युद्ध
 (world war 2) के दौरान 15 अगस्‍त 1945 को ही जापान की सेना ने आत्‍मसमर्पण कर दिया
था।
 भारत को 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता मिली। आजादी के
बाद पहली बार आधिकारिक रूप्‍ से राष्‍ट्रीय ध्‍वज ऑस्‍ट्रेलिया में भारत के तत्‍कालीन
उच्‍चायुक्‍त
 sir raghunath
paranipe 
के घर पर फहराया गया । भारत
के स्‍वतंत्र होने के समय इंग्‍लैण्‍ड के प्रधान मंत्री क्‍लीमेंट एटली जो लेबर
पार्टी थे। भारत के अलावा दक्षिण कोरिया
बहरीन और
रिपब्लिक ऑफ कांगो को भी 15 अगस्‍त की तिथि को ही स्‍वतंत्रता मिली। दक्षिण कोरिया
को वर्ष 1945 में बहरीन को 1971 में और रिपब्ल्कि ऑफ कांगो को 1960 में स्‍वतंत्रता
मिली।

3 जून 1947 को निश्‍चित किया गया कि 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दी
जाएगी तो भारतीय के ज्‍योतिषों ने इस पर आपत्ति दिखाई उनके अनुसार यह दिन देश के
लिए शुभ नहीं है। लेकिन लार्ड माउंटबेटन तो इसी दिन के लिए एक मत थे
इसलिए ज्‍योतिषो ने कहा कि स्‍वतंत्रता का समय 14 अगस्‍त रात 12 बजे
हो
क्‍योंकि भारतीय मान्‍यता के अनुसार अगले दिन
सुर्योदय से दिन आरंभ माना जाता है इसलिए 15 अगस्‍त के अशुभ दिन से बचा जा सके।और
अंग्रेज मानते थे कि रात 12 बजे से दिन बदल जाता है। इस प्रकार लॉर्ड माउंटबेटन की
राय भी सर्व मान्‍य किया गया ।
 

स्‍वतंत्रता दिवस
का महत्‍व को शब्‍दों में बया नही कर सकते है।
स्‍वतंत्र देश की अपनी पहचान एवं
अस्मिता होती है।अपनी संविधान कानुन अपनी संस्‍कृति अपनी भावनाऐं एवं जनता का
समर्थन होता है। हर देश कभी किसी का गुलाम हो सकता है क्‍यों कि किसी देश की सैनिक
क्षमता कमजोर होने से अन्‍य शकित्‍शाली देश उन पर हमला कर उस पर कब्‍जा कर सकते है
एवं अपने कानुन एवं अधिकार उन पर थोप देते हैं। तो कुल मिलाकर स्‍वंतत्रता दिवस का
अपना ही महत्‍त्‍व होता है। स्‍वतत्रंता दिवस का अर्थ शहीद योगदान बलिदान कालक्रम
कई चीजों पर आधारित होता है। इस लिए इस दिन को खास बनाने के लिए स्‍वतंत्रता दिवस
को भारी उत्‍साह से मनाया जाता है। भव्‍य कार्यक्रम होते हैं छोटे बच्‍चों को इसका
महत्‍व बताया जाता है इसके देश के इतिहास को फिर से या द किया जाता हैं। सामान्‍यत-
भारत में हर स्‍कुल
कार्यालयों में स्‍वतंत्रता दिवस को
मनाया जाता है इस दिन देश के प्‍यारे झंडे को फहराया जाता है राष्‍ट्र के गान को
सामुहिक रूप से गाया जाता है सांस्‍कृतिक कार्यकम होते हैं। भव्‍य तैयारी की जाती
हैं। स्‍कूल में प्रभात रैली होती हे बच्‍चें अपनी तैयार किये कार्य को प्रस्‍तु‍त
करते हैं। आज के दिन एक जुठता भाई चारें को नमुना प्रत्‍यक्ष रूप से देखा जा सकता
हैं।
 

विश्‍व के पश्चिमी देशों में भारत को
सोने की चिडि़या कहा जाता था। जिसके कारण विदेशी व्‍यापार करने के लिए भारत आने
लगे। समुद्र मार्ग से पुर्तगाली
डचफ्रांसीसी आदि आये। 31 दिसम्‍बर 1600 को ब्रिटेन महारानी एलिजाबेथ
प्रथम ने भारत मे व्‍यापार करने शाही अधिकार दिया। इसके साथ भारत में ब्रिटिश ईस्‍ट
कम्‍पनी की स्‍थापना हुई। उन्‍होंने यहां की परिस्थितयों का लाभ उठाकर
 , व्‍यापार के साथ की राजनीतिएवं सांस्‍कृतिक रूप से प्रभुत्‍व बढ़ाया । साथ अंग्रेजी का प्रचार
किया। भारत में कई प्रकार के सुधार कार्यक्रम एवं धर्म आन्‍दोलनों के परिणाम
पुनर्जागरण के विस्‍तार हुआ। भारतीयों में राजनीतिक चेतना एवं जागृति की परिणति
1857 की क्रांति हुई। क्रांति के बाद सुरक्षा कवच नाम से भारतीय राष्‍ट्रीय
कांग्रेस की स्‍थापना हुए।भारतीयों के प्रयास तथा अंग्रेजों के आर्शीवाद का ही फल
था कि भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस का जन्‍म हुआ यह बहु प्रान्‍तीय
बहुधर्मीतथा बहुजातिय थी। इसका संगठन , स्‍वरूप एवं चरित्र राष्‍ट्रीय था। 1885 से 1905 ई के समय तक
कांग्रेस का जनाधार व्‍यापक नही था। इसके बाद राष्‍ट्रवादियों ने राष्‍ट्रीय आन्‍दोलन
को सुदृढ़ नींव डाली और ऐसे मार्ग का निर्माण किया जिस पर चलकर आजादी प्राप्‍त की
जा सकें। उदारवादी नेताओं ने भारतीय समाज के पुन निर्माण पर बल दिया। उन्‍नीसवीं
सदी के अन्‍त में भयंकर अकाल और उसके परिणाम स्‍वरूप गंभीर संकट आया। प्‍लेग के
भीषण प्रकोप से काफी लोग मरे। इसी समय
विशषत: बंगाल के शिक्षित लोगों के बीचबेकारी काफी बढ़ गई थी।

इसलिए ये बेकार शिक्षित युवावर्ग
नरमदल से विमुख होकर उग्रवाद की ओर आकर्षित हुए। 1905 के बाद यह आन्‍दोलन राष्‍ट्रवाद
में प्रमुख गया।कर्जन की निति और 1905 में हुआ बंगाल का विभाजन से भारतीय जनता
चकित रह गई। बंगाल के विभाजन विरोधी आन्‍दोलन में सभी विचारधाराओं के राष्‍ट्र
वादियों ने भाग लिया । 1907 में सुरत में कांग्रेस अधिवेशन का विभाजन हो गया। इसके
बाद एक वर्ग जो कि भाषण देने
प्रस्‍ताव पास करने
वाली नीति से शांति से आंदोलन कर रही थी। वही दूसरी ओर कुछ लोग हिंसा से सक्रिया
विरोध कर रहे थे। इसके साथ राष्‍ट्रवादियों में आत्‍म विश्‍वास की भावना लगातार
पैदा हो रही थी।ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति लागु कि जैसे- 1907 में राज विरोधी
सभी प्रतिबन्‍ध अधिनियम
, 1908 में समाचार पत्र
अधिनियम लागू किया आदि।

स्‍वतन्‍त्रता को सार्थक करने,

कण कण में चेतना भरने

आज पूरा देश खड़ा है।

 

स्‍वंतत्रता संघर्ष में
क्रांतिकारियों का भी विशेष योगदान रहा । क्रांतिकारियों में अदम्‍य
साहसवीरता त्‍याग बलिदान एवं देश के प्रति
समर्पण भाव आदि कूट कूट भरी थी। अपने प्राणों की बाजी लगाकर अंग्रेजो की हत्‍या
करना
 , ट्रेन में डकैतियां
डालना
,बम विस्‍फोट आदि ऐसे अनेक साहसिक
कार्य किये गये। क्रांतिकारी मरने से नहीं डरते थे उनका मानना था कि व्‍यकित
पुराना वस्‍त्र धारण कर नया वस्‍त्र पहनता है वैसे ही शरीर से आत्‍मा भी है तो
मरने से क्‍या घबराना । क्रांतिकारियों ने साहित्‍य
पत्र पत्रिकाओंपर्चों तथा न्‍यायालयों
में दिये भाषण के माध्‍यम से राष्‍ट्रीयता एवं क्रांति की भावना जगाते थे। भगत
सिंह ने उस समय सेट्रल जेल बम काण्‍ड 1929 किया । ऐसी घटना से परेशान होकर एवं
क्रांतिकारी आंदोलन को दबाने के लिए सरकार भय तथा लालच दिखाकर कुछ विश्‍वासघाती
भारतीय नवयुवकों को मुखबिर बनालेती है। महान क्रांति‍कारी देशभक्‍त शचीन्‍द्रनाथ
सान्‍याल ने हिन्‍दुस्‍तान प्रजा‍तांत्रिक संघ एवं भगत सिंह
चन्‍द्रशेखर आजादने हिन्‍दुस्‍तान
समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ संगठन का निर्माण किया । क्रांतिकारियों द्वारा हिंसक
गतिविध्यिों के कारण उसे ब्रिटिश सरकार ने आतंकवादी माना। मगर वे आतंकवदी नहीं थे
क्‍यों कि वे निरपराध्यिों की हत्‍या नहीं करते थे। मातृभुमि की मुकित के लिए किये
गये त्‍याग एवं बलिदान के कारण ही चापेकर बन्‍धु
वीर सावरकरशचीन्‍द्रनाथ सान्‍यालभगत सिंहचन्‍द्रशेखर आजादसूर्यसेन आदि क्रांतिकारी नेता देश में लोकिप्रिय हुए। 23 मार्च 1931 को
भगत सिंह
राजगुरूसुखदेव को फांसी दी गयी।उस समय भारत के हजारों घरों में कई दिनों तक
शोक मनाया गया।

हिंसक गतिविधियों के बाद भारतीय राष्‍ट्रीय
कांग्रेस ने महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में अहिंसात्‍मक आन्‍दोलनों एवं नैतिक
साधनों द्वारा स्‍वतंत्रता संघर्ष को आगे बढ़ाया। अन्‍त: 15 अगस्‍त 1947 को
अंग्रेजो से भारत को राजनीतिक दबाव एवं आंदोलन के जिरिऐ आजादी दिलाई गयी। वास्‍तव
में भारतीय स्‍वतंत्रता संघर्ष
पार्टी विशेष अथवा
आन्‍दोलन विशेष का परिणाम न होकर विविध राष्‍ट्रवादी शक्तियों के सतत् संघर्ष एवं
योगदान का परिणाम था।


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