janjatiya samajik sangathan vivah parivar gotr yuva samuh ! Tribal social organization- marriage, family, clan youth dormitories

Tribal
Aspect Of Chhattisgarh

जन‍जातिय सामाजिक संगठन-विवाह, परिवार
गोत्र युवा समूह 
Tribal social organization- marriage, family, clan
youth dormitories

janjatiya samajik sangathan vivah parivar gotr yuva samuh ! Tribal social organization- marriage, family, clan youth dormitories


जन‍जातिय विवाह, tribal
marriage-




विवाह
प्रथा-

एक
विवाह प्रथा-
 

  • साली विवाह– प्रथा में पत्‍नी की मृत्‍यु पर साली से शादी कि जाती है।
  • देवर
    विवाह
    – पति के मृत्‍यु पर देवर से शादी की जाति है।



बहुविवाह प्रथा– 

  • बहुपत्‍नी विवाह
  • बहुपति
    विवाह- 

1. भातृबहुपति विवाह – सगे भाई मिलकर एक स्‍त्री से विवाह करते है।

2.अभातृ
बहुपति विवाह
– स्‍त्री एक से अधिक विवाह (सगे भाई नहीं)

3.समूह
विवाह
– अनेक पुरूषों का अनेक स्‍त्रीयों से विवाह ।

विवाह
साथी चुनने का तरीका-

सामान्‍य
विवाह
– परिवारों की इच्‍छा से  शादी करना।

परीवीक्षा
विवाह
– लड़का प्रेमिका के घर रहकर अपने आचरण एवं कार्यो को सिद्ध करता है सिद्ध
होने के बाद में विवाह संपन्‍न किया जाता हैं। उदाहरण- उत्‍तर पूर्व की कूकी
जनजाति।

सेवा
विवाह
– गोड़  में लमानाई एवं बैगा  में लगसेना कहते है।

 लड़का दहेज नही देपाने की स्थिति में लड़की के
घर सेवक की तरह कार्य करता है तत्‍पश्‍चात विवाह संपन्‍न होता हैं।

विनिमय
विवाह या गुंरावट विवाह
– दो परिवारों मे अदला बदली। यह विवाह प्रथा सभी जनजाति में
संपन्‍न होता हैं।

क्रय
विवाह
– वधु मुल्‍य चुकाने के बाद विवाह संपन्‍न सभी जनजाति में प्रथा अपना‍यी गयी
है।

परीक्षा
विवाह
– स्‍वयंवर द्वारा

सहपलायन
विवाह
– भागकर शादि करना
, परिवार की रजामंदी के बाद विवाह।
यह प्रथा भी सभी जनजति में प्रचलित हैं।

अपहरण
विवाह
– परिवार की सहमति के बिना विवाह। गोंड जनजाति में पयसोतुर विवाह कहलाता हैं।

पैठू
विवाह
– कोरवा जन‍जाति में ठुकु विवाह कहते हैं।

हट विवाह-लड़की
द्वारा जबरदस्‍ती लड़के के घर जाकर रहना। जब तक उसके परिवार की सहमत न हो जाये
उसके बाद  विवाह संपन्‍न।

दूध
लौटावा विवाह
– ममेरे फुफेरे
, भाई बहन के मध्‍य विवाह
उदाहरण- गोंड




जन‍जातिय परिवार tribal
family-




सदस्‍यों
के संख्‍या के आधार पर परिवार के प्रकार-

  1. मूल
    / केन्‍द्रीय परिवार
    – पति पत्‍नी एवं उनके बच्‍चे से मिलकर बना परिवार
  2. संयुक्‍त
    परिवार
    – पति पत्‍नी उनके सभी बच्‍चे के परिवार संयुक्‍त रूप में निवासरथ
  3. विस्‍तृत
    परिवार
    – इसके अंतर्गत एक ही वंश के परिवार अलग अलग स्‍थानों पर रहते हैं उन्‍हें
    सम्‍मलित रूप से विस्‍तृत परिवार कहते हैं।

विवाह
के स्‍वरूप के आधार पर –

  • एक
    विवाही परिवार
    – विवाह से निर्मीत परिवार
  • बहु
    विवाही परिवार
    -बहुपति एवं बहुपत्नि के विवाह से निर्मीत परिवार
  • समान
    रूधिर विवाह परिवार
    – ममेरे फुफेरे विवाह से निर्मीत परिवार

पारिवारिक
सत्ता के आधार पर-

  • पितृसत्तात्‍मक
    परिवार
    – मुखिया पिता हो। ऐसे परिवारों में विवाह के बाद वधु अपने पति या ससुर के
    पास रहती हैं। इस कारण इसे पितृस्‍थानीय परिवार भी कहते है।
  • मातृसत्तात्‍मक
    परिवार
    – मुखिया माता हो । ऐसे परिवारों में विवाह पश्‍चात वर अपने पत्नी के परिवार
    के साथ निवास करता है। यह परिवार मातृस्‍थानीय परिवार कहलाता है।

वंश
के आधार पर-

  • पितृवंशीय
    परिवार

    बच्‍चों का वंश  एवं नाम‍
    पिता के आधार पर रखा जाए।
  • मातृवंशीय
    परिवार
    – जब पिरवार का वंश नाम माता के वंश से सुनिश्चित हो।

नोट-
छत्तीसगढ़ जनजातियों में एक विवाही
, पितृसत्तात्‍मक
पितृस्‍थानीय परिवार होता हैं।

 

जन‍जातिय गोत्र tribal
clan-

गोत्र का 
जनजातियों के जीवन पर विशेष महत्‍व है। गोत्र का निर्माण बहुत सारे कुल से
होता हैं।गोत्र की सुरूवात परिवार के प्रथम पूर्वज से माना जाता है।

गोत्र का महत्‍व-

  • गोत्र एक बहिर्विवाही  संरचना है।वे एक ही संतान के जीव होने के कारण
    एक दूसरे के भाई बहन होते हैं इस कारण उनमें आपस में विवाह नहीं किया जा सकता है।
  • गोत्र की संरचना पूर्वज पर आधारित है अत: यह काल्‍पनिक
    या वास्‍तविक हो सकता है।
  • गोत्र एक ही पक्षीय होते है।

गोत्रों का वर्गीकरण- 2 प्रकार के गोत्रों के समूह पाये
जाये जाते हैं।

भ्रातदल – कई गोत्र मिलकर एक समूह बना लेते है तब इन्‍हें
भातृदल समूह कहा जाता है भ्रातृदल में आपस में गोत्र सम्मिलित होते हैं।

द्विदल – जनजाति के सुपूर्ण गोत्र दो समूहों में बंट
जाते हैं तो द्विदल और जब दो से अधिक समूहों में उक्‍त गोत्र बंट जाते हैं तब उसे
भ्रातदल कहते हैं।




जन‍जातिय युवा समूह youth
dormitories-

मानवशास्‍त्री
शरत चन्‍द्र राय
– युवागृह के 3 तीन उद्देश्‍य-

  1. आर्थिक
    संगठन
  2. सामाजिक
    कर्तव्‍यों की शिक्षा का उपयोगी केन्‍द्र
  3. धर्म
    जादू संम्‍बधी संस्‍कारों को सिखाने का स्‍थल

युवागृह
के प्रकार-



एक
लिंगीय
– अविवाहित लड़के/ लड़कियां शाम को जाकर रात को घर वापस आ जाते हैं।

द्विलिंगीय
मुरिया में इसे घोटूल के नाम से जाना जाता हैं।

शाम
को जाकर रात भर वही रहते है।

1मुरिया-घोटूल की विशेषता-

  • युवक
    चेलिक
  • सिरेदार
    चेलिकों का मुखिया
  • युवती
    मुटियारिन
  • बेलासा
    मुटियारिन की मुखिया
  • प्रत्‍येक
    का अलग नाम दिया जाता हैं।

2- परजा-
धागाबक्‍सर
3- उरांव
-धुमकुरिया
4-भारिया
– घसरवासा
5-बिरहोर-
गितिओना
6-भुईयां-
रंगभंग



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