Chhattisgarhi Noun-छ्त्तीसगढ़ी संज्ञा

Chhattisgarhi noun

छ्त्तीसगढ़ी संज्ञा-Chhattisgarhi Noun

संज्ञा उस विकारी शब्‍द को कहते हैं जिससे किसी विशेष, भाव और जीव के नाम का बोध हो।

।- विरेन्‍द्र इस्‍कूल ले आवत हे ।

2- आमा खट्- मिट्ठा हे ।

3- मंजूर नाचत हवय ।

उपर दिये वाक्‍यों में विरेन्‍द्र व्‍यक्ति का नाम है।इस्‍कूल पढने के स्‍थान का नाम है। आमा एक फल का नाम है। मंजूर एक पक्षी का नाम है। खट्- मिट्ठा एक गुण है। ये सब प्राणी , पदार्थ, पक्षी, स्‍थान भाव आदि के नाम हैं। इसकारण्‍ किसी भी नाम को संज्ञा कहते है।

छ्त्तीसगढ़ी संज्ञा उदाहरण– समारू, रेयपुर, आमा, मंजूर, दलहा पहाड़, इंदिरावती आदि।

घर, आकास, गंगा,देवता, पीला, अक्छर, बल, जादू इत्‍यादि।

छ्त्तीसगढ़ी संज्ञा के भेद Types Of Chhattisgarhi noun-

हिंदी की तरह पांच भेद है-

  1. व्‍यक्तिवाचक संज्ञा
  2. जातिवाचक संज्ञा
  3. द्रव्‍यवाचक संज्ञा
  4. समूह वाचक संज्ञा
  5. भाववाचक संज्ञा

व्‍यक्तिवाचक संज्ञा –

जिस शब्‍द से किसी एक वस्‍तु या व्‍यक्ति का बोध हो, उसे व्‍यक्ति वाचक संज्ञा कहते हैं-

  • व्‍यक्तियों के नाम– खोलबहरा, सोमारू, दुकालू, जेठू आदि।
  • देशों के नाम– भारत, अमेरिका, बांग्‍लादेश, जापान आदि।
  • नदियों के नाम– शिवनाथ, महानदी, पैरी, अरपा,

  • शहरों के नाम– रायगढ़ , बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग
  • गांव/शहरों के नाम– दंतेवाड़ा, डोंगरगढ़, रजिम, सिरपुर, रतनपुर, डथरा, मालखरोदा, पोता, फगुरम ।
  • पुस्‍तकों के नाम– रामायण , महाभारत, गीता।
  • त्‍योहारों के नाम– हरेली, भोजली, तीजा, पोरा, कमरछठ, छेरछेरा, होली।

  • फलों के नाम– आमा, अमली, बोइर, कलिंदर, अंगूर।
  • समाचार पत्रों के नाम– नवभारत, दैनिक भास्‍कर, नई दुनिया, हरिभूमि, पत्रिका, लोकस्‍वर, इवनिंग टाइम्‍स।
  • महीनों व दिनों के नाम– जनवरी, फरवरी, चइत, बइसाख, जेठ, पूस, मांघ, इतवार, सोमवार ।
  • दिशाओं के नाम– उत्ती (पूर्व), बुड़ती (पश्चिम), भंडार (उत्तर), रक्‍सहू (दक्षिण ) ।

जातिवाचक संज्ञा-

जिन संज्ञाओं से एक ही प्रकार की वस्‍तुओं का बोध हो, उन्‍हें जातिवाचक संज्ञा कहते है।

उदाहरण-

  • मनुष्‍य– टूरा, टूरी, भाई, बहन, आदमी, औरत।
  • पशु– पक्षी- गाय, बइला,घोड़ा, सुआ, मैना, मंजूर ।
  • वस्‍तुओं का नाम– घड़ी, कुरसी, किताब, मोबाइल, कम्‍प्‍यूटर।
  • पद या व्‍यवसाय का नाम– शिक्षक, संतरी, डॉक्‍टर, लेखक, कवि , चपरासी।
  • डोली खेत पहाड़ या नदी जातिवाचक संज्ञा है क्‍योंकि उससे बहुत सारे कृषि योग्‍य खेत, पहाड़- दलहा पहार, नीलगिरि या बहुत सारी, नदियों अरपा, पैरी, मनियारी, लीलागर, महानदी आदि का बोध होता है।

द्रव्‍यवाचक  संज्ञा-

जिस संज्ञा से नाप तौल वाली वस्‍तु का बोध हो उसे द्रव्‍यवाचक संज्ञा कहते हैं। इस संज्ञा का सामान्‍यत- बहुवचन नहीं होता ।

  • धातुओं तथा खनिजों के नाम– लोहा सोना चांदी पीतल  कांस्‍य आदि।
  • खाने पीने की वस्‍तुओं का नाम – पानी , घी, तेल, चाउंर, गोरस, नून ।
  • ईंधनों के नाम– मिट्टी तेल, पेट्रोल, डीजल, कोयला।
  • अन्‍य– तेजाब।

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समूह वाचक संज्ञा-

जिस संज्ञा से वस्‍तु अथवा व्‍यकित के समूह का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।

  • व्‍यक्तियों का समूह- परिवार, सेना, झुण्‍ड, मेला, कक्षा।
  • वस्‍तुओं का समूह– गुच्‍छा, ढेर।
  • अन्‍य समूह– बरदी/ गोहड़ी/ खइरखा जानवरों का समूह। कोरी (बीस का समूह), हप्‍ता (सप्‍ताह – सात दिन का समूह), साल/ वर्ष (12 महीनों का समूह)

भाववाचक संज्ञा-

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया , सर्वनाम, और अव्‍यय में प्रत्‍यय लगाकर होता है। जैसे-

भाववाचक संज्ञा भी विकारी शब्‍द है ये प्राय: तीन प्रकार के शब्‍दों से बनती है जैसे-

  • किेयाओं से – लहुटना से लहुटई, गोठियाना से गाठियाई, हरियाना से हि‍रयई, सजाना से सजावट, लिखना से लिखावट, बुढ़ाना से बुढ़ापा ।
  • संज्ञा से – लइका से लइकाइ्र, लोहा से लोहइन, तेल से तेलइन।
  • विशेषण से– गरम से गरमी, सरल से सरलता, मोटा से मोटई, करू से करूआसी/ करूआई, अम्‍मट से अमटपन/ अमटहा, सियान से सियानी ।

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