Cesarean Delivery-C section delivery in hindi

Cesarean delivery-c section delivery in hindi




सिजेरिजन डिलिवरी (Cesarean delivery,
Cesarean
operation) यह शब्‍द कभी न कभी सुनने को जरूर मिला होगा। सिजेरिजन डिलिवरी का मतलब
होता हैं कि सामान्‍य प्रसुति की बजाया पेट में चीरा लगा कर बच्‍चे को बाहर निकाला
जाता हैं।इसे कई प्रकार से उच्‍चारण किया जाता है जैसे-
c
section delivery, Cesarean delivery, cesarean operation, Cesar,
c
sec delivery
आदि ।

cesarean section या c section delivery kya hai- 

सिजेरिजन सेक्‍शन का अर्थ
है पेट को खोल कर गर्भाशय में चीरा लगा कर शिशु को बाहर निकालना। यह गर्भधारण के 28
हफ्तों के बाद कभी भी की जा सकती हैं। (
C-Section Delivery In Hindi)

सिजेरिजन (cesarean) शब्‍द
रोमन भाषा से लिया गया है जहां सदियों पहले इस नाम का एक कानून था जिस के तहत किसी
मृत्‍यु शय्या पर पड़ी गर्भवती स्‍त्री का पेट इसलिए काटा जाता था ताकि यदि शिशु जीवित
हो तो उस की जान बचाई जा सके।

Cesarean delivery-full informnation hindi

सिजेरियन(c-section delivery) क्‍यों किया जा जाता है-

करीब 10 प्रतिशत महिलाओं में Operation द्वारा प्रसूति या
डिलीवरी करवाई जाती है। सिजर करने के कई कारण है-
 

गर्भाशय के विकार- 

यदि डिलीवरी के दौरान गर्भाशय स्‍पंदित न हो जिस की वजह
से शिशु बाहर न आ पाए या गर्भाशय का स्‍पंदन अनियमित और असं‍तुलित हो तो यह शिशु
या मां के लिए खतरा बन सकता है।

प्रसूति मार्ग के विकार-

जैसे गर्भाशय का मुंह या पेड़ की हड्डी अत्‍यंत संकुचित हो या स्‍त्री में
पहली दो प्रसूतियां सिजेरियन द्वारा की गई हों जिस से गर्भाशय में विकार उत्‍पन्‍न
हो गया हो या गर्भाशय के भीतर कोई ट्यूमर या गांठ मौजूद हो।

जटिल गर्भावस्‍था- 

यदि प्रेंगेंट वूमन मुधुमेह, उच्‍च रक्‍त चाप, फिट या
रक्‍तचाप  से पीडि़त है  तो सामान्‍य प्रसूति में बाधा आ सकती है।

शिशु और जटिलताएं-

यदि गर्भस्‍थ शिशु में कोई विकार हो तो सिजेरियन करना लाभ दायक होता है
उदाहरणार्थ-

  • जुड़वा बच्‍चे
  • बचचे के ह्दय या शवसन में अवरोध उत्‍पन्‍न होना।
  • बच्‍चे का गर्भ के भीतर विकास रूक जाना।
  • यदि गर्भधारण के चालीस हफ्तों बाद भी प्रसव न हो पाए।
  • यदि जरायु यानी प्‍लेसेंटा शिशु के पिछाड़ी होने की बजाय सामने हो।

सिजेरिजन डिलिवरी क्‍यों बढ़ता जा रहा हैं।-

सिजेरिजन डिलिवरी या c section delivery की चलन दिनों दिन बढ़ता रहा है इसके कई कारण हैं-




आपरेशन की सुरक्षा-

एनेस्‍थीसिया या शुन्‍य करने वाले दवा का गुणवत्‍ता बढ़ी है, कारगर
एंटीबायोटिक दवाइयां और रक्‍तदान की सुविधा की वजह से इस विधि में होने वाले खतरे
का प्रमाण कम या खत्‍म सा हो गया है।

माता की सुरक्षा-

प्रेगनेंट स्त्रियों में रक्‍त का बहना , झटके आना या गर्भद्वार का छोटा
होनेा जैसी जटिलाताएं हो उन की इस विधि से आसानी से प्रसुति की जा सकती है।

बच्‍चे की सुरक्षा-

सिजेरिजन डिलिवरी के प्रचलन से पहले कई बच्‍चे विभिन्‍न्‍ कारणों की वजह से
गर्भ में ही खत्‍म हो जाते थे उन्‍हें अब बचाया जा सकता है।

अधिक उम्र में गर्भ ठहरना-

आज कल अधिक उम्र में होने वाली शादियों की वजह से स्‍त्री गर्भवती भी ज्‍यादा
उम्र में होती है और जितनी उम्र अधिक हो प्रसुति में कठिनाई भी उतनी ही होती है। इसलिए
ज्‍यादा संख्‍या में माताओं का सिजेरियन करवाना पड़ता है।

छोटा परिवार- 

छोटे परिवार के चलन की वजह से यदि पहली प्रसूति सिजेरियन
द्वारा हो तो दूसरी बार गर्भधारण में भी सिजेरियन की मांग की जाती है ताकि उसी के
साथ नसबंदी भी की जा सके।

प्रायोजित आपरेशन-

यह उस दशा में किया जाता है जब स्‍त्री में संभावित खतरों की वजह से सामान्‍य
प्रसुति या तो मुमकिन नहीं होती है या उस में कठिनाइयों आ सकती है। अत: यह पहले से
भी निर्धारित कर लिया जाता है कि गर्भधारण के 39 वें या 40 वें सप्‍ताह में सारी
तैयारियों के साथ सिजेरियन कर लिया जाए।

ऐसी कुछ अन्‍य परिरिस्‍थतियां हैं- पहली प्रसुति सिजेरियन द्वारा हुई हो
माता को डायबिटिज
, हाई
ब्‍लड प्रेसर हो
, गर्भ
में जुड़वा बच्‍चे हों
, बच्‍चे
की गर्भ में असामान्‍य स्थिति
, नाल
या प्‍लेसेंटा का बच्‍चें आगे होना चाहिए।

ऐसे में बहुत से लोग पंचांग या कलेंडर देख कर शुभ अशुभ समय में सिजेरियन
करवाने का आग्रह करते हैं
, अधि‍कतर
यह सुबह के वक्‍त्‍ किया जाता हैं।

इमरजेंसी सिजेरिजन क्‍या हैं-

आपातकालीन सिजेरियन या प्रसुति के दौरान अचानक हुई कठिनाइयों की वजह से
आपातकालीन परिस्थितियों में किया जाता है इसे गर्भावस्‍था के 28 हफ्तों के बाद
किसी भी दिन किसी भी समय में करना पड़ सकता है।

सिजेरियन आपेरशन के प्रकार Types of cesarean
operation

1-लोअर सेग्‍मेंट-

यह सर्वाधिक आम विधि है और करीब 99 प्रतिशत स्त्रियो में यही विधि अपनाई
जाती है।

2-अपर सेग्‍मेंट

यह विधि पुराने समय में बहुत प्रचलित थी मगर आजकल इसे किन्‍ही विशेष
परिस्थितियों में किया जाता है।

3गर्भाशय को निकलना-

इसविधि में सिजेरियन द्वारा प्रसुति के पश्‍चात गर्भाशय को भी निकाल दिया
जाता है खासकर तब जब रक्‍तस्‍त्राव नियंत्रित न हो रहा हो या गर्भाशय में कोई
विकार हो।

सिजेरिजन डिलिवरी कैसें किया जाता हैं। C-section delivery कैसे होता हैं।
Cesarean delivery kaise hota hai । Cesarean operation kaise hota hai 

cesarean operation करने के पहले –

प्रेगेंन्‍ट को आपरेशन से 6 घंटे पहले से खाली पेट रहना होता है पेट ओर
जननांगो के बाल साफ कर के वहां दवाई लगाई जाती है।मूत्र मार्ग में नली का प्रवेश
किया जाता है जिससे  शल्‍यक्रिया के दौरान मूत्र
निकास अपने आप होता रहे। यदि समय मिले तो एनिमा भी दिया जाना चाहिए ताकि पेट साफ
हो जाए आपरेशन मरीज को सीधा पीठ के बल लिटा कर किया जाता है।

cesarean operation के दौरान-




आम तौर पर मरीज को रीढ़ की हड्डी में निश्‍चेतक दवा दे कर नाभि के नीचे का
भाग सुन्‍न कर दिया जाता है कई बार मरीज को पूर्ण बेहोश कर या केवल आपरेशन की जगह
सुन्‍न कर के भी विधि पूर्ण की जाती है।

पहले चीरा लगा कर पेटू के निचले भाग तक लंबकोण या बड़ा चीरा लगाया जाता है, मगर कुछ लोग पेडू के निचले हिस्‍से में आड़ा
चीरा भी लगाते हैं जो वहां के बालों के बीच छिप सा जाता है।गर्भाशय के निचले हिस्‍से
में आड़ा चीरा लगा कर शिशु एवं प्‍लेंसेंटा को निकालने के बाद गर्भाशय और पेट के
जख्‍मों को विभिन्‍न सतहों में पुन: सील दिया जाता है।

cesarean operation मे होने वाली कठिनाइयां

1-तत्‍काल कठिनाइ-

इसमे ऑपरेशन
करने के दौरान कुछ कठिनाइयां आती है जैसे-

  • जख्‍म से या गर्भाशय से रक्‍तस्‍त्राव।
  • निश्‍चेतक दवाओं की वजह से
    निमोनिया या ह्दयसंबंधी बीमारियां
  • इंफेक्‍शन जो बुखार, जख्‍म का पकना पेट में
    मवाद होना या टांको का खुल जाना जैसी बाधाएं आ सकती हैं।
  • पैरों के भीतर शिराओं में रक्‍ता
    का जम जाना इस से अनेक कठिनाइयां उत्‍पन्‍न हो सकती हैं।

2-देर बाद होने वाली
कठिनाइयां-

  • मासिक चक्र में गड़बड़ी
  • पेडु में दर्द।
  • संतानोत्‍पति मेंअसमर्थता
  • जख्‍म में हर्निया की उत्‍पन्‍न
    होना।
  • अगले गर्भधारण में ऑपरेशन के
    जख्‍म का खुलना या फटना।
  • दुग्‍धपान में बाधाएं।
  • रक्‍तल्‍पता या शारिरिक अस्‍वस्‍थता।

हालांकि इन में से अधिकांश
जटिलाताए आपातकालीन अवस्‍था में की गई ऑपरेशन की वजह से होती हैं। मगर उन्‍हें भी
टाला जा सकता है।

cesarean operation c
section delivery
सिजेरिजन में होने
में समस्‍याएं और इलाज-

FAQ-

  • 1यदि किसी महिला की एक बार डिलीवरी सिजेरिजन
    से हो जाए तो आगे भी हमेशा सिजेरियन द्वारा ही वह बच्‍चे को जन्‍म दे सकती है
    ?

जबाव- जय जरूरी नहीं है कि हर मरीज में सिजेरियन को दोहराया जाए कई
स्त्रियां जिन्‍होंने अपने पहले गर्भधारण में सिजेरियन द्वारा बच्‍चे को जन्‍म
दिया हो उनकी अगली डिलिवरी सामान्‍य रूप से हो जाया करती है।

  • 2-बहुत बार यह देखा गया है कि जिस स्‍त्री में पहले सिजेरियन हो चुका है
    उसे आगे भी इसी की सलाह दी जाती है
    ?

जबाव- इसकी वजह यह
होती है पूर्व गर्भधारण के दौरान उस स्‍त्री में कुछ ऐसी स्थितियां उत्‍प्‍न्‍न हो
गई हों जिस से या तो सामान्‍य डिलीवरी संभव ने हो या खतरनाक हो ऐसी स्थिति आगे
होने वाले प्रसवकाल में भी ज्‍यों की त्‍यों बनी रहती है और ऑपरेशन जरूरी हो जाती
है।

  • 3– इस सिजेरियन ऑपरेशन में खुन बह जाता है ?

जवाब- सामान्‍यत:
300 से 400मिली तक एवं सामान्‍य डिलीवरी में 100 से 140 मिलीटर तक।

  • 4 इस सिजेरियन ऑपरेशन में कितना खुन चढ़ाना पड़ता है?

जबाव-वैसे तो एक बोतल
खुन पर्याप्‍त होता है
, मगर यदि मरीज रक्‍ताल्‍पता एनीमिया का शिकार हो या
शल्‍यक्रिया में रक्‍तस्‍त्राव अधिक हो तो फिर दूसरी बोतल की जरूरत पड़ सकती है।

  • 5 क्‍या cesarean operation खतरनाक होता हैं?

जबाव- बिलकुल नहीं, आज अच्‍छी
और सुरक्षित निश्‍चेतना बेहोश विधि
, कारगर एंटिबायोटिक और
रक्‍तदान की सुविधा की वजह से यह क्रिया अत्‍यंत सरल और सुरक्षित हो गई है इसके
अलावा यह न केवल स्‍त्री को प्रसव वेदना से बचाती है बिल्‍क प्रसूति की राह में
गुजरने वाले घंटों के इंतजार ओर प्रसुति पश्‍चात की थकान से भी स्‍त्री को परे
रखती है।

  • 6-सामान्‍य
    डिलीवरी एवं
    सिजेरियन खर्चा किसने ज्‍यादा हैं?

जबाव-ऑपरेशन के लिए
विशेषज्ञों
, डॉक्‍टरों , दवाओं, एवं वस्‍तुओं
की जरूरत होती है इस कारण में खर्चा ज्‍यादा होता है। मगर सामान्‍य प्रसुति में सीमित
साधनों एवं केवल अनुभवी व्‍यक्ति ही काफी हो सकता हैं।




  • 7Cesarean delivery के बाद क्‍या सावधानियां
    बरतनी चाहिए
    ?

जबाव- स्‍त्री को
पहले 12 घंटो में मुंह से कुछ न दिया जाए उस के बाद वह तरल पदार्थ जैसे पानी
, चाय या
शरबत ले सकती है इसी दौरान मुत्र मार्ग में प्रविष्‍ट नही को भी निकला दिया जाता
है।

  • 8- स्‍त्री बिस्‍तर
    से कब उठ कर बैठ या घूम सकती है
    ?

जबाव-आमतौर पर 12 घंटे
पश्‍चात उसे बैठने और घूमने की अनुमति दे दी जाती है।

  • 9– स्‍त्री सामान्‍य
    भोजन कब खा सकती है
    ?

जबाव– जैसे ही उसे
गैस या मल का निकास हो जाता है उसे सामान्‍य भोजन दिया जा सकता है।

  • 10-स्‍तनपान कब
    आरंभ किया जा सकता है
    ?

जबाव-6घंटो बाद
निश्‍चेतक दवाओं का प्रभाव पूरी तरहों से समाप्‍त हो जाता है उसके बाद ही।

  • 11-मोटी स्त्रियों
    के लिए सावधानियां-

जबाव-जिन स्त्रियों का
वजन अधिक हो उन्‍हें अपना वजन कम करना चाहिए उन्‍हें ऑपरेशन के पश्‍चात पेट पर एक
बेल्‍ट पहनने की जरूरत होती है जो जख्‍म का अतिरिक्‍त सुरक्षा देती है ताकि भविष्‍य
में हार्निया होने की संभावना न रहें।

  • 12– आपरेशन की टांके
    कब निकाले जाते हैं
    ?

जबाव-सामान्‍यत: 7 वें दिन
यदि महिला मोटी हो या कोई जटिल कठिनाइया हो तो 10 दिन के बाद निकाले जाते हैं।

  • 13– महिला को अस्‍पताल
    से छुट्टी कब दी जा सकती है
    ?

जबाव-टांके निकलने
के दूसरे दिन वह घर जा सकती है।

Disclaimer

यह लेख पाठकों को केवल
मार्ग दर्शन एंव ज्ञानवर्धन के लिए है ताकि वे आम स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के बारे में
उचित जानकारी पा सकें। विजिटर को सलाह दी जाती है कि वे नीमहकिमों या स्‍वयं ही इलाज
करने के चक्‍कर में न पड़ कर अनुभवी और विशेषज्ञ डॉक्‍टरों से ही अपना इलाज कराएं।

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