25 facts ! Special chhattisgarh facts

25 facts ! छत्‍तीसगढ़ की विशेष जानकारी  छत्तीसगढ़
की सामान्‍य जानकारी !  important facts about chhattisgarh

25 facts !  chhattisgarh facts  ! important facts about chhattisgarh

    नवम्‍बर 2000 को मध्‍यप्रदेश से अलग होकर
    प्राकृतिक सम्‍पदा तथा धनधान्‍य से परिपूर्ण नवोदित छत्तीसगढ़ राज्‍य की स्‍थापना
    हुई।


    इसका अक्षांशीय विस्‍तार 1746I  उत्‍तर से 245 I  उत्‍तर तथा देशांशीय विस्‍तार 80  15I पूर्व से  8425 I पूर्वी
    देशांतर है।


    राज्‍य का कुल क्षेत्रफल 135191 वर्ग किमी
    है।
     उत्‍तर-दक्षिण लम्‍बाई 
    700 किमी तथा पूर्वपश्चिम चौड़ाई 435 किमी है। 





    यहां भारत का 4.14भू-भाग है। जहां देश की 2.11% जनसंख्‍या
    निवास करती है।
     


    इस राज्‍य की सीमा 7 राज्‍यों से
    लगी हुई है। जैसे उत्‍तर में
     उत्‍तर प्रदेश उत्‍तर -पश्‍चिम में मध्‍यप्रदेश उत्‍तर पूर्व में झारखण्‍ड पूर्व और दक्षिण-पूर्व में ओडियापश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में महाराष्‍ट्र और दक्षिण में तेलंगाना स्थित है। 


    इस सुन्‍दर मनोरम राज्‍य में
    मैकल पर्वत
    सिहावा और रामगिरि पर्वत श्रेणियां है तथा महानदीशिवनाथइंद्रावतीहसदो और खारून नदियों द्वारा पर्याप्‍त जल की पूर्ति होती है। 


    छत्तीसगढ़ की नैसर्गिक सौन्‍दर्य
    प्रकृति की कृपा है तथा देश के कई राज्‍यों की तुलना में अत्‍यन्‍त समृद्ध
    हैं। यहां की सम्‍पन्‍न खनिज एवं वन सम्‍पदा कोयला
    बाक्‍साइटतांबा लौह अयस्‍कसीसाटिनडोलोमाइट और चूना-पत्‍थर हैं। यहां
    गरियाबंद जिले के देवभोग में कई प्रकार के हीरों का भण्‍डार हैं जहां सफलता
    पूर्वक्‍ उत्‍खनन हो रहा है। राज्‍य में आर्थिक विकास बड़ी तीव्र गति से हो
    रहा है।
     


    कलचुरी शासन काल में 18 किले
    शिवनाथ नदी के दक्षिण भाग में अर्थात रायपुर राज्‍य के अन्‍तर्गत थे तथा 18
    किले शिवनाथ नदी के उत्‍तर में अर्थात रतनपुर राज्‍य में स्थित थे।
     


    छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास में
    वन संसाधन का महत्‍वपूर्ण योगदान है। यहां की प्रमुख वनोत्‍पादन
     आबूनससालसागौनतेन्‍दूपत्‍तासाजाखैरबांसहर्राबहेड़ाआंवलालाख , गोंद तिलसाधोरासरई और नरकट आदि प्रमुख हैं। 


    वन्‍य जन्‍तुओं के लिए वन स्‍वर्ग
    के समान आश्रय प्रदान करता है।


    छत्तीसगढ़ में खनिजों का पर्यात्‍प
    भण्‍डार है और वन संसाध्‍नों की अधिकता के कारण महत्‍वपूर्ण औद्यौगिक केन्‍द्रों
    की स्‍थापना हुई हैं।
     


    अधिकांश विदृयुत उत्‍पादन उर्जा
    उत्‍पादक केन्‍द्र हैं।यहां के प्रमुख उद्योगों में
     सीमेन्‍टलोहा-इस्‍पातएल्‍युमिनियमरसायनपेपर और हस्‍तशिल्‍प प्रमुख हैं। राष्‍ट्रीय स्‍तर के औद्यौगिक केन्‍द्रों में भिलाई इस्‍पात,संयत्र भिलाईभारत एल्‍युमिनियकम कं कोरबाराष्‍ट्रीय
    खनिज विकास निगम बैला‍डीला
    जिंदल पावर एवं स्‍टील
    लिमिटेड रायगढ़
     
    आदि प्रमुख है। 


    छत्तीसगढ़ की अर्थव्‍यवस्‍था में
    कृषि का महत्‍वपूर्ण योगदान है। काली
    लाल और पीली उपाजाउ मिटि्टयां पूरे
    प्रदेश में पाई जाती हैं। सिंचाई की सुविधा उपलब्‍ध होने पर दोहरी फसलें उगाई
    जाती हैं। यहां की प्रमुख फसल धान है अत: छत्तीसगढ़ को
     
    धान का कटोरा कहा जाता
    हैा यहां कुछ गेहूं का भी उत्‍पादन होता है। मक्‍का
    तिलहनदाले अल्‍प मात्रा की फसलें हैं। 


    राज्‍यकी संस्‍कृति और इतिहास का
    बड़ा महत्‍वपूर्ण योगदान है। रामायण और महाभारत काल में छत्तीसगढ़ को कोसल के
    नाम से जाना जाता था।
     यहां मौर्यसातवाहनवाकाटकगुप्‍त वंशनल वंशपाण्‍डव वंशसोमवंशीनागवंशी और कल्‍चुरी वंश की स्‍थापना हुई थी। यह प्रदेश
    मराठों के अन्‍तर्गत
     
    1732-1818 तक रहा। 


    राज्‍य की अद्वितीय जनजातीय संस्‍कृति
    रही है। यह प्रमुख आदिवासी क्षेत्र है। यहां
     42 प्रमुख तथा अन्‍य बहुत सी छोटीछोटी आदिवसी लोग पूरे राज्‍य में विस्‍तृत हैं। ग्रामीण संगीतडांसड्रामा भी संस्‍कृति का एक अंग है।
    जिसमें
     
    पंडवानीमहाभारतराउतनाचासुवा नाचापंथी नृत्‍य इत्‍यादि
    महत्‍वपूर्ण हैं।
     



    महानदी बेसिन के रायपुर जिले का आरंग मन्दिरों का
    शहर
     है। 


    खैरागढ़ का इंदिरा संगीत विश्‍वविद्यालय एशिया में अपने तरह का अलग विश्‍वविद्यालय
    है।
     
    मैनपाट को छत्तीसगढ़ का
    शिमला
     कहते हैं। 


    जशपुर जिले का लुड़ेग टमाटर की
    नगरी
     के नाम से प्रसिद्ध है और इसी जिले का लोरो घाटी फूलों की
    घाटी
     के नाम से जाना जाता है। 


    केशकाल की घाटी में 12 खतरनाक मोड़ हैं जिसकी लम्‍बाई लगभग 5 किमी है। 


     बस्‍तर का दशहरा उत्‍सव विश्‍व में सबसे अधिक 75 दिनों तक चलने वाला है। 

    बस्‍तर का घोटुल अविवाहित मुरिया आदिवासी युव‍क-युवतियों का रात्रिकालीन क्‍लब है जो
    विश्‍व में अपने तरह का अलग संगठन है।
     

    कांकेर के नारायणपुर के पखांजूर
    का विख्‍यात नरनारायण मेला बंग बंधुओं का अनोखा आयोजन है।

     दण्‍डकारण्‍य में इतने
    अधिक प्राकृतिक दृश्‍य हैं कि इसे
     
    छत्तीसगढ़ का स्‍वर्ग कहते है। 

    प्रदेश में एक ओर खनिज एंव वन
    संसाधनों से परिपूर्ण
    उर्जायातायात एवं संचार की पर्याप्‍त
    सुविधाओं के कारण तेजी से उभरता हुआ औद्योगिक परिदृश्‍य दिखाई दे रहा है तो
    दूसरी ओर कृषि अर्थव्‍यवस्‍था वाले इस प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में शासन
    की विकासशील नीतियों
      के कारण तेजी से उन्‍नति
    हो रही है। इसी कारण इसे उभरता हुआ प्रदेश कहते हैं।


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