बस्‍तर राजा प्रवीरचंद्र भंजदेव बायोग्राफी bastar king praveer chand bhanjdev biography

प्रवीरचंद्र भंजदेव:- बस्‍तर राजा जीवन परिचयbastar king praveer chand bhanjdev biography 

प्रवीरचंद्र भंजदेव का जन्‍म एवं परिवार

श्री प्रवीरचंद्र भंजदेव का जन्‍म 25
जून 1929
को शिलांग में हुआ था। उनकी माता कुमारी देवी बस्‍तर की महारानी थी। जब
महारानी का निधन लंदन में एपेंडीसाइटिस के ऑपरेशन के कारण हुआ। तब ब्रिटिश सरकार
ने औपचारिक रूप से उन्‍हें गद्दी पर बिठाया और रियासती शासन की बागडोर अपने हाथ
में ले ली।

    उनके पिता श्री प्रफुल्‍लचंद्र
    भंजदेव
    ,जोकि मयूरभंज महाराजा
    के भतीजे थे। का अपने बच्‍चों पर कोई अधिकार नहीं रहा था। वे बस्‍तर से निष्‍कासित
    कर दिये गये थे।




    प्रवीरचंद्र भंजदेव और उनके
    भाई-बहनों का लालन-पालन व शिक्षा आदि की व्‍यवस्‍था पाश्‍चात्‍य पद्धति से हुई
    उनकी देखभाल के लिए गोरी नर्सें तथा अंग्रेजी गार्जियन तैनात किये गये थे। ताकि
    उन्‍हें मानसिक रूप से निकम्‍म बनाया जा सकता सके और बस्‍तर रियास‍त की बागडोर
    सदैव अंग्रेजो के हाथों में रहे।


    बस्‍तर के आदिवासियों का भगवान

    इनका व्‍यक्तित्‍व आकर्षक था
    गौरवपूर्ण
    , इकहरा और शरीर , मझोला, कद,
    चेहरे पर राजसी क्रांति , लंबे केश,
    भारतीय पोषाक उनके किरदार को आकर्षण बनाते थे। देखने में ऋषिपुत्र की
    भांति वे धार्मिक तथा अध्‍यात्‍मवादी थे। राष्‍ट्रीय विचारों का आदर करते थे तथा
    अन्‍याय को सहने की शक्ति उनमें न थी। अत: अपने पिता की ही भांति अंग्रेजी शासन की
    टेड़ी नजर का शिकार उन्‍हें होना पड़ा। बस्‍तर के आदिवासी उन्‍हें भगवान की तरह
    पूजते थे।

    जुलाई 1947 को 18 वर्ष पूरे होने पर
    उन्‍हें बस्‍तर रियासत का पूर्ण अधिकार अंग्रेजों ने सौंप दिया । 1948 को बस्‍तर
    रियासत का विलय भारतीय संघ
    में हो गया। 13 जून 1953 को उनकी सम्‍पत्ति कोई ऑफ
    वार्डस के अनतर्गत ले ली गयी। सन् 1953 को उनके द्वारा बस्‍तर जिला आदिवासी किसान
    मजदूर सेवा संघ बनाया गया। जिसका उद्देश्‍य आदिवासियों का आर्थिक सामाजिक तथा शै‍क्षणिक
    विकास करना था।

    पागलपन का आरोप

    सन 1956 में उन्‍हें राजयक्ष्‍मा का
    रोगी और पागल घोषित
    कर उपचार हेतु स्विट्जरलैण्‍ड भेज दिया गया। किन्‍तु वहां के
    सेनोटोरियम ने उन्‍हें पूर्ण स्‍वस्‍थ घोषित कर तीन माह के अन्‍दर ही वापस  भेज दिया
    ,। कोर्ट ऑफ वार्डस के कारण प्रवीरचंद्र भंजदेव
    के सामने अर्थ संकट उत्‍पन्‍न हो गया । सन 1957 में वे बस्‍तर जिला कांग्रेस के
    अध्‍यक्ष घोषित किये गये। वे मध्‍यप्रदेश विधान सभा के सदस्‍य भी चुने गये। किन्‍तु
    1959 में उन्‍होंने विधान सभा की सदस्‍यता से त्‍यागपत्र दे दिया।

    जेल की यात्रा

    11 फरवरी को दिल्‍ली से लौटते समय
    उन्‍हें धनपुंजी में गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके परिणामस्‍वरूप लोहांडीगुडा बस्‍तर
    में गोली कांड
    हुआ। किन्‍तु जेल से ही अपनी पैरवी स्‍वयं कर उन्‍होंने शासन द्वारा
    नियुक्‍त सलाहकार बोर्ड के समझ निरपराध घोषित किया और 26 अप्रैल 1961 को वे जेल से
    रिहा
    किये गये।

    बस्‍तर आदिवासियों का दशहरा मामला

    4 जुलाई 1961 को उनका विवाह पाटन
    राजस्‍थान
    की राजकन्‍या के साथ दिल्‍ली में सम्‍पन्‍न हुआ। 1961 को दशहरा विवाद
    हुआ। फरवरी माह में उनकी गिरफ्तारी के दूसरे दिन वे राजपद से हटा दिये गये और उनके
    अनुज विजयचंद्र को महाराज घोषित किया गया और यह शर्त रखी गयी है कि शासन द्वारा
    घोषित राजा को ही दशहरा पर शासकीय सहायता दी जायेगी। किन्‍तु बस्‍तर के समस्‍त
    आदिवासी इसे स्‍वीकार न करते हुये उन्‍हें राजा स्‍वीकार किया तथा बस्‍तर के
    दशहरें हेतु मिलकर खर्च उठाया। 1961 से 1965 तक दशहरा अधिक शानदार ढ़ग से मनाया
    जाता रहा  । बीच 30 जुलाई 1963 को उनकी सत्‍पत्ति
    कोर्ट ऑफ वार्डस ने मुक्‍त कर दीया ।




    प्रवीर चंद्र भंजदेव जी का प्रभावशाली व्‍यक्तित्‍व

    12 जनवरी 1965 को प्रवीरचंद्र भंजदेव
    ने बस्‍तर की समस्‍याओं को लेकर दिल्‍ली जाकर अनशन किया। तत्‍कालीन गृहमंत्री
    गुलजारी लाल नंदा के आश्‍वासन के पश्‍चात उन्‍होंने अनशन की समाप्ति की । इस बीच वे
    आदिवासियों की सस्‍याओं को लेकर जगदलपूर जिलाधीश से जुझते रहे और अपनी मांग मनवाते
    रहे। वे टेनीस और क्रिेकेट से अच्‍छे खिलाड़ी थे और प्रतियोगिताओं एवं विभिन्‍न
    खेलों के लिए भरपूर धनराशि देते थे।


    bastar king pravirchand bhanjdev biography



    प्रवीर चंद्र भंजदेव जी की रचनाएं

    वे विद्यानुरागी थे। उन्‍होंने 1950
    को अपने महल में साहित्‍य सम्‍मेलन करवाया था। जिसमें द्वारिका प्रसाद मिश्र भी उपस्थित
    थे। वे धार्मिक थे व उन्हें ग्रंथों का अच्‍छा ज्ञान था । उन्‍होंने येा ग विद्या
    या अनेक पुस्‍तकें लिखीं। जिनमें योग के आधार
    , योग तत्‍व, भगवत तत्‍व
    तथा योग सम्‍बन्‍ध का निरूपण
    प्रमुख है। उनकी महत्‍वपूर्ण कृति लोहंडीगुड़ा
    तरंगिनी 104 पृष्‍ठों
    की दूसरी महत्‍वपूर्ण कृति है जिसमें अनेक राजिनितिक विचारों
    का वर्णन है।

     

    प्रवीर चंद्र भंजदेव जी की रहस्‍यमयी मृत्‍यु

    प्रवीरचंद्र भंजदेव जी राजमहल मे
    अवश्‍य पैदा हुये पर बचपन से ही वे भगते रहे। 25 मार्च 1966 के गोलीकाण्‍ड में वे
    अपने ही राजमहल के अंदर शाम 7:30 बजे पुलिस  द्वारा मारे गऐ। इसकी जांच हेतु जो कमीशन नियुक्‍त
    हुआ था। उसकी जांच अभी भी चल रही है। जबकि इस घटना को 54 साल हो चुके है।

    इन्‍हें भी देखें💬 Biography of Osho in hindi । Osho books in hindi 

    इन्‍हें भी देखें💬भारतीय गणितज्ञ एवं उनका कृतित्‍व !! aryabhata, varaha mihira, brahma gupta, bhaskaracharya, shrinivas ramanujan

    इन्‍हें भी देखें 👉प्रागेतिहासिक काल CGPSC MAINS HISTORY NOTES

    इन्‍हें भी देखें 👉छत्तीसगढ़ का इतिहास वैदिक युग से लेकर गुप्‍त काल तक 

    इन्‍हें भी देखें 👉नल वंश CGPSC MAINS HISTORY NOTES

    इन्‍हें भी देखें 👉शरभपूरीय वंश CGPSC MAINS HISTORY NOTES

    इन्‍हें भी देखें 👉 पांडु वंश  CGPSC MAINS HISTORY NOTES

    इन्‍हें भी देखें 👉रतनपुर कलचुरी वंश CGPSC MAINS HISTORY NOTES

    इन्‍हें भी देखें 👉रायपुर कलचुरी वंश CGPSC MAINS HISTORY NOTES

    इन्‍हें भी देखें 👉कलचुरी एवं उनका प्रशासन CGPSC MAINS HISTORY NOTES

    इन्‍हें भी देखें 👉छत्तीसगढ़ मेंं सामंती राज व्‍यवस्‍था CGPSC MAINS NOTES 

    इन्‍हें भी देखें 👉हिस्‍ट्री ऑफ बस्‍तर 
    इन्‍हें भी देखें 
    👉छग की पूर्व रियासतें  एवं जमींदारियां 
    इन्‍हें भी देखें 
    👉छग में 1857 की क्रांति Revolt of 1857
    इन्‍हें भी देखें 
    👉श्रमिक आंदोलन छग workers movement
    इन्‍हें भी देखें 
    👉कृषक आंदोलन छग peasant movement


    Leave a Comment