तानसेन समारोह 2021 ! tansen samaroh 2021 ! 97th

तानसेन समारोह 2021 ! tansen samaroh 2021 ! 97th

tansen samaroh 2021
tansen samaroh 2021


फरवरी 1924 में ग्वालियर में उर्स तानसेन के रूप में शुरू हुए तानसेन समारोह (tansen samaroh) का
आगाज हुआ था। तब से अब तक उसी सी परंपरा के साथ तानसेन समारोह का निंरतर चलता रहा है।
समारोह में नए आयाम तो जुड़े पर पुरानी परंपराएँ अक्षुण्ण रही हैं। अब तानसेन समारोह
समारोह 
(tansen samaroh) विश्व संगीत समागम का रूप ले चुका है। अब तानसेन समारोह (tansen samaroh) की पूर्व संध्या पर
उप शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम “गमक” का आयोजन भी होता है। इस साल भी
96 साल से चली आ रही परंपराओं का निर्वहन करते हुए 97वें तानसेन समारोह 
(tansen samaroh) का आयोजन
25 से 30 दिसम्बर २०२१ तक हो रहा है।




  • कार्यक्रम का नाम– तानसेन समारोह 2021 (tansen samaroh)
  • क्रम -97वें
  • स्‍थानग्‍वालियर मध्‍य प्रदेेेश
  • दिनांक 25 से 30 दिसम्बर 2021

 

इस महान संगीतकार की स्मृति में सन् 1924 से प्रतिवर्ष ग्वालियर में अब तानसेन
समारोह में संगीतज्ञों का मेला लगता है
, जहाँ देश के चोटी के कलाकार अपनी कला का
प्रदर्शन कर संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। तानसेन की
स्मृति को चिर-स्थाई बनाने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा सन् 1980 में राष्ट्रीय
तानसेन सम्मान की स्थापना की गई। वर्ष 1985 तक इस सम्मान की राशि 5
,000 
₹ थी। वर्ष 1986 में इसे बढ़ाकर 50,000 ₹कर दिया गया और वर्ष 1990 से इस सम्मान
में 100
,000 
 तथा प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाती
रही। अब पुरस्कार राशि बढ़ाकर 2
,00,000 ₹ कर दी गई है। अभी तक तानसेन सम्मान से देश के ख्याति नाम 52 कलाकार सम्मानित किये
जा चुके हैं।

 


कौन है तानसेन1506 ई में जन्‍मे महान
संगीतज्ञ
तानसेन जो स्‍वामी हरिदास
के शिष्‍य थे। उन्‍हें संगीत सम्राट के नाम से जाना जाता है
तानसेन अकबर के नवरत्‍नों में से एक थे। तानसेन
ने अनेक रागों की सृष्टि की । तानसेन रूद्रवीणा वाद्ययंत्र व दरबारी तथा मियां की तोड़ी
नामक दो रागों का आविष्‍कार किया था। 1589 में तानसेन का निधन हो गया ।

तानसेन का जीवन परिचय biography of tansen-

मिर्जा तानसेन का जन्‍म ग्‍वालियर मध्‍यप्रदेश में हुआ था । तानसेन का मुल नाम
रामतनु पाण्‍डेय था। तानसेन वृन्‍दावन के संत हरिदास के शिष्‍य थे। तानसेन संगीत कला
में अत्‍धिक निपुण थे। तानसेन के संगीत की प्रशंसा सुनकर सम्राट अकबर ने इन्‍हें  अपने दरबार में बुला लिया। तानसेन को संगीत सम्राट
भी कहा जाता है। अकबर ने इन्‍हें कण्‍ठाभरणवाणी विलास की उपाधि से सम्‍मानित किया ।
तानसेन ने कई नये रागों की रचना की थी। तानसेन समय में धु्पद गायन शैली का विकास हुआ।
तानसेन प्रमुख कृतियां में मियां की टोड़ी
, मियां की मल्‍हार मियां की सारंग
दरबारी कान्‍हड़ा शामिल है। बाद में तानसेन ने सत्‍तारी सिलसिले के मुहम्‍मद गौस की
प्रेरणा ने इन्‍हें खानखाना की उपाधि से सम्‍मानित किया।

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