छत्तीसगढ़ में सिंचाई व्यवस्था।। irrigation system in chhattisgarh |
chhattisgarh me sichai vyavastha
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छत्तीसगढ़
के लोगों का कृषि प्रमुख व्यवसाय है। धान राज्य की प्रमुख फसल है जिसे अधिक पानी
की आवश्यकता होती है राज्य में सिंचाई की सुविधा बहुत सीमित है।धान की खेती मुख्य
रूप से मानसून पर आधारित होती है। मानसून पर आधारित होती है। मानसून के अभाव में
वर्षा की कमी के कारण धान की खेती प्रभावित होती है।
छत्तीसगढ़
में जल के 2 प्रमुख स्त्रोत हैं-
1.सतही
जल:- पहला स्त्रोत वर्षा की सतही जल, जिसके
अन्तर्गत सभी नदियां, नालों, तालाबों
और संचित जलों को ले सकते हैं।
2.द्वितीय
स्त्रोत:- इसके अन्तर्गत आन्तरिक जल को लिया जाता है जिसक अन्तर्गत कुओं और
ट्यूब वेल से भूमि के अन्दर से जल को निकालकर सिंचाई करते हैं। छत्तीसगढ़ जल
संसाधन की दृष्टि से एक सम्पन्न राज्य हैा यद्यपि यहां कुछ ऐसे कटिबंध हैं जहां
पानी का अभाव है। ऐसा माना जाता है कि 46600 मिलियन क्यूबिक मी. जल में से 11960
मिलियन क्यूबिक मी.जल का उपयोग होता है। उत्तरी भाग केगंगा प्रवाह क्षेत्र की
घाटी,
मध्यवर्ती भाग के महानदी बेसिन, दण्डकारण्य
के गोदावरी घाटी से दक्षिण में और पश्चिम में नर्मदा घाटी सेसिंचाई के लिए जल की
प्राप्ति होती है। राज्य में प्रमुख रूप से नहरों , ट्यूबवेल,
तालाबों और कुओं से सिंचाई होती है–
1.बड़ी परियोजना –10,000 हेक्टेयर से अधिक सिंचित
क्षेत्र वाली परियोजना।
2.मध्यम
परियोजना-2000से 10,000हेक्टेयर सिंचित
क्षेत्र वाली परियोजना।
3.छोटी
परियोजना–2000
हेक्टेयर से कम सिंचित क्षेत्र वाली परियोजना।
⦿छत्तीसगढ़
में मार्च 2013 तक 8 वृहद , 33 मध्यम श्रेणी
की एंव 2390 लघु परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैा इसके सिवाय 3 वृहद, 6मध्यम एवं 430 लघु सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन है।
⦿छत्तीसगढ़ में 2019-20 में 08 वृहद, 37मध्यम,
2395लघु सिंचाई योजनाएं तथा 30 नलकूप योजना एवं 718 एनीकट/स्टापडेम
निर्मित हैं। जबकि 04 वृहद, 01 मध्यम एवं 369 लघु सिंचाई
योजनाएं तथा 01 नलकूप योजना एवं 145 एनीकट/स्टापडेम निर्माणाधीन हैं।
छत्तीसगढ़ में सिंचाई ।। irrigation system in chhattisgarh |
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स्त्रोत
के आधार पर सिंचित क्षेत्र हेक्टेयर में 2012-13
1.
|
नहरों से
|
8,76,670
|
60.50 %
|
2.
|
नलकूप से
|
5,02,728
|
36.69%
|
3.
|
तालाबों से
|
49,226
|
3.30%
|
4.
|
कूप से
|
20,413
|
1.41%
|
कुल
|
कुल क्षेत्र
|
14,49,037
|
100.00%
|
प्रदेश
की जल संसाधन विकास नीति 2012:-
⦿सुनियोजित
तरीके से जल संसाधनों का विकास करना जो पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त हो,
जल स्त्रोतों और जल निकास मार्गों का अतिक्रमण एवं अन्य उपायोगों
में नहीं होने और जहां भी ऐसा हो वहां पुन: स्थापित एवं उचित अनुरक्षण किया जाना–
अ.
सूखा प्रभावित क्षेत्रों तथा वृष्टि छाया वाले क्षेत्रों में जल संसाधनों के विकास
की तकनीकी दृष्टि से साध्य हर संभव प्रयास हो, सूखें
से निपटने के लिए विभिन्न कृषि कार्य नीतियों को विकसित करने तथा मिट्टी एवं जल
उत्पादक में सुधार करने के लिए स्थानीय अनुसंधान एवं वैज्ञानिक संस्थानों से
प्राप्त वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर भूमि, ऊर्जा एवं जल
प्रबंध करना।
ब.पेयजल,
कृषि उद्योग हेतु आवश्यक जल की पूर्ति व्यावहारिक दरों पर उपलब्ध
करना जिससे कम से कम संधारण व्यय की पूर्ति हो सके।
स.जल
संसाधनों के विकास में आवश्यक वृहद् निवेश को देखते हुए निजी निवेश को प्रोत्साहित
करना।
द.जल
संसाधनों के विकास एवं संधारण में जल उपभोक्ताओं के प्रतिनिधियों की भागीदारी
सुनिश्वित करना।
ई. सम्पूर्ण जनसंख्या में जल के विभिन्न उपयोग हेतु समुचित संस्थागत एवं
कानूनी ढांचे के तहत जल प्रदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
“`
प्रदेश
की प्रमुख परियोजनाएं:-
💧कोडार
परियोजना
💧जोंक
परियोजना
💧बोध
घाट परियोजना
💧तान्दुला
परियोजना
💧रविशंकर
सागर परियोजना
💧दुधावा
बांध
💧किंकारी
बांध कुम्हारी बांध
💧पैरी
बांध
💧पेन्ड्रावन
बांध
💧रूद्री
बैराज
💧सोंढूर
जलाशय
💧हसदो
परियोजना
💧मनियारी
परियोजना
💧अरपा
सिंचाई परियोजना
💧खारंग
परियोजना
💧घोंघा
परियोजना
💧केला
परियोजना
💧मुरूमसिल्ली
परियोजना
छत्तीसगढ़
में सिंचाई का वितरण:- इसे 4 भागों में विभक्त कर सकते हैं:-
- अधिक
सिंचित क्षेत्र( >40%) - मध्यम सिंचित क्षेत्र (30% से 40%)
- निम्न सिंचित क्षेत्र (10%से 30%)
- अतिनिम्न सिंचित क्षेत्र (<10 %)
अधिक
सिंचित क्षेत्र( >40%):– प्रदेश के
6जिलों में सिंचित क्षेत्रों का प्रतिशत 40 से अधिक है। इसके अन्तर्गत
जांजगीर-चांपा , रायपुर, धमतरी, दुर्ग, बलौदाबाजार, और बालोद
जिले आते हैं। जांजगीर-चांपा , रायपुर और
धमतरी, जिलों में महानदी प्रवाहित होती है जहां सिंचित क्षेत्र
का प्रतिशत 70 से अधिक है। दुर्ग जिले का 58%, बलौदाबाजार
तथा बालोद जिले का सिंचित क्षेत्र का % 41 है।
मध्यम सिंचित क्षेत्र (30% से 40%):- प्रदेश के महानदी बेसिन के 6जिले इसके अन्तर्गत आते
है। बेमेतरा जिले में 37%, महासमुंद में 36%,
बिलासपुर तथा गरियाबंद में जिलों में 35-45 प्रतिशत, कवर्धा जिले में 34%और मुंगेली जिले में सिंचित क्षेत्र
का प्रतिशत 33 है।
निम्न सिंचित क्षेत्र (10%से 30%):-इसके अन्तर्गत छत्तीसगढ़ के सबसे कम राजनांदगांव, रायगढ़ , कांकेर और सूरजपुर 4 जिले आते हैं। महानदी बेसिन के
रायगढ़, और राजनांदगांव जिले, दण्डकारण्य प्रदेश के कांकेर जिले तथा पूर्वी बघेलखण्ड प्रदेश के
सूरजपुर जिले इसके अंतर्गत आते हैं।
अतिनिम्न सिंचित क्षेत्र (<10 %):- अतिनिम्न सिंचित क्षेत्रों के अंतर्गत दण्डकारण्य प्रदेश के 6जिले,
पूर्वी बघेलखण्ड प्रदेश के 3जिले तथा महानदी बेसिन के 2 जिले आते
हैं। पूर्वी बघेलखण्ड प्रदेशों के सरगुजा जिलें में 9 %, बलरामपूर
और कोरिया जिले में 8% तथा महानदी बेसिन के कोरबा जिले में 6%
तथा जशपुर सामरी प्रदेश के जशपूर जिले में 4% क्षेत्रों
में सिंचाई होती है।
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